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Thursday, March 3, 2011

अभी भी अधुरा हैं इस्लाम - तारकेश्वर गिरी.

दुनिया के ५० देशो में जिसकी हकुमत चलती हो , वो भी आज अधुरा हैं. वजह हैं , अज्ञानता . एक तरफ पूरी दुनिया इस्लामिक आतंकवाद से परेशान हैं , तो दूसरी तरफ भारत में बैठे कुछ बुधजिवी वर्ग इस्लाम कि एक नई तस्वीर दुनिया के सामने लाने में लगे हुए हैं.

आखिर इस्लाम हैं क्या...................................... ?

क्या सचमुच इस्लाम शांति का सन्देश देता हैं , अगर देता हैं तो क्यों हजारो निर्दोष इस्लाम और ईस निंदा के नाम पर मारे जाते हैं.

क्यों पाकिस्तान कि हालत ईस समय सिर्फ इस्लाम के नाम पर ख़राब हो रही हैं. आज कि हालत ये हैं कि पाकिस्तान में गैर मुस्लिम नहीं रह सकता . आखिर क्यों.---------------------- ?

क्या पाकिस्तान सिर्फ मुसलमानों के लिए बना हैं. किसी और धर्म के लिए नहीं.

क्या कुरान कि आयते कहती हैं कि, -- हे मुसलमानों मारो तुम. उन सबको जो मुसलमान ना हो..

29 comments:

  1. इस्लाम या अन्य धर्म अपने में सही है नीच लोगो की वजह से धर्म बदनाम होता है

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  2. जिस धर्म में अनवर जमाल जैसे कीड़े होगे वह धर्म तो सड़ेगा ही.पता नही इस्लाम के पैरोकारो को ऐसे कमीने की हरकते नही दिखती मासूम जी आपका अमन का पैगाम तब तक सफल नही होगा जब तक इस जलील को जलील नही किया जाएगा

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  3. मुसलमान तो खुद अभी इस बात पर भी सहमत नही हो पा रहे हैं कि असली मुसलमान कौन है? शिया, सुन्नी, अहमदिया या कोइ और? अब ऐसे मे अगर हिन्दु इस्लाम को अपनाने को तैयार हो भी जाएं (जिससे कि खून खराबा रुक जाए) तो किस फिरके के साथ जाएं वो?

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  4. सूर्यभान जी इस ज़लील को ज़लील करने के लिए मेरा ब्लॉग समर्पित है http://ahsaskiparten-sameexa.blogspot.com कृपया पधारें

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  5. पाकिस्तान सांस्कृतिक रूप से भारत का अविभाज्य अंग है आज भी । धर्म के नाम पर भारत में महाभारत का युद्ध हुआ जिसमें हिंदू राजाओं ने 1 अरब 88 करोड़ हिंदुओं को बेरहमी से मार डाला गया । सत्ता के लोभ में और ऐश्वर्य के भोग के कारण जो महाभारत अतीत में हुआ था उन्हीं कारणों से दुनिया भर में इंसान आज भी लड़ रहे हैं । अपनी लड़ाई को जायज़ क़रार देने के लिए जैसे महाभारत को सत्य और असत्य का युद्ध कहने की नाकाम कोशिशें की जाती हैं वैसे ही तेल हथियाने वाला बुश क्रूसेड कहता है और पाकिस्तानी जल्लाद ईशनिंदा की आड़ लेते हैं , महज़ अपने कुकृत्यों को ढकने के लिए लेकिन आप चिंता न करें ग़लत को ग़लत कहने के लिए अभी अनवर जमाल जैसे लोग मौजूद हैं जो किसी के विरोध और अपने अपमान की परवाह किए बिना सच कहते हैं और गालियों के बदले में दुआ देते हैं ।
    ॐ शांति !

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  6. सत्य ही पाकिस्तान भारत का अंग है, और कठमुल्ले चाहे कितना भी प्रयत्न कर लें वे इस सांस्कृतिक बंधन को तोड नही पाएगें। इसके लिए वो चाहे हमारे कलाकारों पर प्रतिबंध लगा ले या कोई और हथकण्डा अपना ले।

    रही बात लोभी लालची एवं अधर्मी उस युग मे भी थे, जिन्हे हम राक्षस नाम से जानते हैं वे सब उस युग मे पहले श्रीकृष्ण जी का वध करने की कुचेष्टा कर के जब हार गए तो उन्होने शकुनि और दुर्योधन नामक अधर्मियों को अपना मोहरा बनाया, आज के युग मे वे राक्षस, मुस्लिम के रूप मे और दुर्योधन, शकुनि, धर्म-निरपेक्ष के रूप मे जाने जाते हैं

    राक्षसों मे भी विभीषण एवं प्रहलाद थे, आज भी सारे मुस्लिम गलत नही हैं, पर इनका नेतृत्व इन्हे गलत छवि प्रदान कर रहा है और इनको नरक तुल्य अवस्था से गुजरने पर मज़बूर कर रहा है।

    इस नेतृत्व के कारण इन्हे शेष समाज शक कि निगाह से देखता है, इनका समाज इन्हे पसंद नही करता क्योंकि ये मानवता की बातें करते हैं।

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  7. मासूम जी, आपके द्वारा दिए लिंक पर गया वहां पढा -

    जहाँ तक प्यार और नफरत की बात है, मुसलमानों का स्वाभाव ग़ैर-मुसलमानों के लिए उनके कार्यो के अनुरूप अलग-अलग होता है. अगर वह ईश्वर की आराधना करते हैं और उसके साथ किसी और को ईश्वर अथवा शक्ति नहीं मानते तो इस्लाम उनके साथ प्रेम के साथ रहने का हुक्म देता है. और अगर वह किसी और को ईश्वर का साझी मानते हैं, या ईश्वर पर विश्वास नहीं करते, या धर्म के प्रति शत्रुतापूर्ण हैं और ईश्वर की सच्चाई से नफरत करते है, तो ऐसा करने के कारणवश उनके लिए दिल में नफरत का भाव आना व्यवहारिक है.

    मै अपए ईश्वर पर विश्वास करता हूं मेरा अल्लाह पर विश्वास नही ऐसे मे आप की क्या प्रतिक्रिया है?

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  8. ज़माल अगर सच मे तुम मान अपमान की परवाह नही करते हो तो तुम्हे चुभती हुई टिप्पणीयां delete मत किया करो

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  9. मंगलवार, १ मार्च २०११ये इस्लाम धर्म भी कोई धर्म है लल्लू .... ?
    देख रहा हूँ कि कोई एहसास की परतें- समीक्षा नामक भाई साहब, मुफ़्ती-ए-आज़म ब्लॉगिस्तान मौलाना मोहम्मद महमूद अहमद डॉ. अनवर जमाल साह्ब से बेवजह रगड़ा मोल लिए हुए हैं। बट व्हाय ?


    जबकि आप डॉ. साहब के द्वारा पूछे गए एक भी सवाल का जवाब नहीं दे सकते हैं। दि सवाल्स आर एज़ अंडर :-


    1. क्या आप आज के युग में विधवा को सती कर सकते हैं ?
    2. क्या आप आज की व्यस्त जिंदगी में तीन टाइम यज्ञ कर सकते हैं ?
    3. क्या आप आज अपने बच्चों को वैदिक गुरूकुल में पढ़ाते हैं ?
    4. क्या आपके पिताजी 50 वर्ष पूरे करके वानप्रस्थ आश्रम का पालन करते हुए जंगल में जा चुके हैं ?
    5. और अगर वह जंगल जाने के लिए तैयार नहीं हैं तो क्या आप उनसे अपने धर्मग्रंथों का पालन करने के लिए कहेंगे ?


    ऎण्ड माय जवाब्स आर एज़ अंडर :-
    १. आज के युग में पत्नियाँ विधवा हो कहाँ पाती हैं भैया ? वो तो उसके पहले ही डिवोर्स ले चुकी होती हैं और डिवोर्सी को सती करना हिन्दू धर्म का हिस्सा नहीं है।
    अब आप जमाल बाबू (काहे के डॉ.) से ये पूछें कि क्या वे अपनी बीबी को तुरंत में तलाक देकर उनका हलाला मेरे जैसे किसी मुसलमान से करवा कर इद्दत विद्दत करके उसी शिद्दत से स्वीरकार करेंगे ?
    2.जमाल बाबू (काहे के डॉ.) से ये पूछें कि क्या वे उनकी लस्त और हौसला पस्त जिंदगी में पाँच टाइम नमाज़ पढ़ सकते हैं ?
    ३. क्या जमाल बाबू (काहे के डॉ.) अपने बच्चों (एक से तो ज्यादा ही होंगे) को दारुल उलूम में पढ़ाते हैं ?
    ४. क्या जमाल बाबू (काहे के डॉ.) के वालिद साहब (मुसलमानो के बाप को पिता नहीं वालिद कहते हैं अंडर्स्टुड) उनकी इन घटिया और वाहियात हरकतों से घबरा कर ५० क्या २५ साल पूरे करके ही व्हाया रेगिस्तान भटकते हुए जहन्नुम की रवानगी डाल चुके हैं ?


    ५. अरे नही किलर झपाटे, जमाल के वालिद तो हमसे ये कह रहे थे कि जमाल की अक्ल ठिकाने जब तक नहीं आ जाएगी तब तक वो जहन्नुम में नहीं जायेंगे बल्कि जमाल की तीन और वालिदायें लायेंगे और उनसे १२ और जमाल पैदा करेंगे फिर जहन्नुम में जायेंगे क्योंकि आजकल अच्छे मिस्त्री मिलते कहाँ हैं भाई ? jamalghote kuchh samajh me aya


    ha ha ha ha haaaaa....

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  10. Surya bhan I had replied to jamal, he had not replied back to me.

    your answers are also good, and wait for his (never coming) reply.

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  11. Suryabhan I think he (jamal) will get loose motions after reading your reply

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  12. Suryabhan जी आपने पूछा है "जमाल बाबू (काहे के डॉ.)" मेरा अभी तक के अनुभव से यह सोच बनी है कि ये जानवरो के डॉ हैं

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  13. @ भाई समीक्षा सिंह जी ! अभी दो दिन पहले आपने मुझे धूर्त और अंधा आदि गालियाँ देते हुए कुछ कमेँट किए थे मैंने उनमें से एक भी डिलीट नहीं किया है । मुझे आप जैसे अपने क़द्रदानों की बड़ी क़द्र है और नफ़रत भी लगाव का ही एक प्रकार होता है । नफ़रत को मुहब्बत में बदलने में कभी कभी पल भर भी नहीं लगता और हिंदू के बस का नहीं है नफ़रत करना ।
    हिंदू भाई अच्छे होते हैं। ये तो मुसलमानों की ग़लती है कि उन्होंने न तो भारत के हिंदुओं की क़द्र की और न ही वे हक़ अदा किए जो हक़ हिंदुओं के मुसलमानों पर हैं। जब तक मुसलमान अपने मालिक का हुक्म मानकर लोगों की भलाई का सामूहिक प्रयास नहीं करेंगे तब तक मुसलमानों का भला होने वाला नहीं है ऐसा इस्लाम कहता है और मैं मानता हूँ और आपसे कहता हूँ कि इस्लाम की यह बात आपको भी माननी पड़ेगी ।
    क्या मेरी बात ग़लत है ?

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  14. अनवर, आलोक के comment क्यों delete किए थे? वो comment फिर से पोस्ट करा दूं। और true lies की भी यही शिकायत है।

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  15. देखा कैसा दुम दबाया कुत्ते ने
    इसकी फितरत ऐसी ही जानवरो वाली है सही कहा रविन्द्र भाई
    ये रंग सियार है इस कमीने को गंदे नाले में डाल देना चाहिए ताकि मैले से इसका मुह कुछ तो धुल जाय

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  16. अनवर आलोक जी के इस comment मे ऐसा क्या था जो इसको delete कर दिया था अपनी पोस्ट से?

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  17. तारकेश्वर गिरी@बी न शर्मा से कुछ माल मिला या फोकट मैं कूड़ा करकट जमा कर लिया अपने ब्लॉग पे?
    .

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  18. सभी लोगो से निवेदन है कि इस बहस में मासूम जी पर संदेह न करे वह अनवर जमाल के घोर विरोधी है वह एक नेक मुसलमान हैं इस जमालघोते जिन्ना के पोते को टार्गेट करो

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  19. Pramukh mudde se hat gaye hain aap log.

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  20. giri Saheb jo mudda aapne shuru kiya tha. lagta hai jitne bhi isme aapke well wishe hai sabhi ke sabhi main mudde ko bhul aapas ki aag nikal rahe hai. aap jara un logo se question karo ki kya blog ka matlab aaps main argument karna ka hai ya fir universe main aman aur shanti failna ka hai. agar hum log yeh soche ki hindu ne yai kiya ya muslman ne yai kiya to sirf hum apna aur is IT industry ka time waste kar rahe hai.

    hum sabhi jante hain hum sabhi corrupt hai. to fir yai arguments kyo.

    Kyon na hum ek acha thought lekar is blog ka use. kare.

    u r VJ

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  21. अर्रे क्या बात है fake ID से ना जाने बातों को घुमा घुमा के पेश किया जा रहा है. भाई लोगों मेरा एक ही उसूल है "जो भी झूट का सहारा ले कर नफरत दो इंसानों मैं फैलाए वो इंसानियत का मुजरिम है अब चाहे वो अनवर को या मैं या कोई और.
    .
    दुसरे मैंने कहां क्या कहा और क्यों कहा मुझे यकीन है की सही ही कहा होगा. जैसी पोस्ट वैसा जवाब. और सही इसलिए की मैं ना तो किसी धर्म के खिलाफ बोलता हूँ और ना ही नफरत फैलाता हूँ. आप कहीं सही बात कहें आप को ज्ञानी कह दूंगा आप कहीं ग़लत बात कहें आप को अज्ञानी. अमित शर्म जी ने अमन के पैग़ाम को बेहतरीन कविता भेज के इज्ज़त दी , मैंने भी उस पोस्ट को पढवा के उसका विडियो बना के लोगों तक पहुँचाया क्यूं की उसमें एक ज्ञानी की बातें थी.
    .
    अमन का पैग़ाम के उसूल बदला नहीं करते इसी लिए कोई सही नाम से शिकायत भी नहीं करता. fake id की आवश्यकता हुआ करती है .
    .

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  22. अच्छा अगर ऐसा
    है मासूम महोदय.
    तो तुमने यहाँ पर जमाल की बुराई करने वालो को कूड़ा करकट क्यो कहा?
    तुम कौन होते हो कूड़ा करकट कहने वाले ?
    लगता है जमाल के साथ पुराना याराना है

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  23. देखो मासूम
    मै कौन हूँ इस पर दिमाग मत खपाओ .मै क्या कह रहा हूँ वो विषय है.
    मेरा नाम रोहित है और संवाद के लिये इतना ही काफी है.
    और तुम कौन हो क्या हो .मुझे बताने की जरुरत नही है.
    और मेरा भी एक उसूल है कि जो भी शराफत का लबादा ओढ़ कर कुकर्म करे या कुकर्म का साथ दे.उसकी असलियत खोल दूँ.
    मुझे जमाल से कोई घ्रणा नही है क्यो कि लोग उसकी बाते पढ़कर उसकी असलियत जान जाते है.
    लेकिन तुम एक तरफ जमाल के हिन्दु धर्म विरोधी लेखो पर वाह वाही करो{ यहाँ तक भी तुम गलत नही हो क्यो कि तुम्हारा हक है अपनी कौम के लोगो का साथ देना}.
    लेकिन अब तुम शराफत का ढोँग करके दूसरे धर्म के लोगो को फसाओ . ये नही चलेगा.
    जो गालियाँ जमाल को इस ब्लाग जगत मे मिलती है उसके हकदार तुम भी हो. और तुम्हारा वो ही चेहरा मै लोगो को बता रहा हूँ
    और मै भी जो लिखता हूँ सही ही लिखता हूँ.
    अमन का पैगाम देने के लिये बहुत बड़ा जिगरा चाहिये होता जो तुम्हारे बस की बात नही है.

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  24. उनका जो फ़र्ज़ है वो अहले सियासत जानें मेरा पैग़ाम मुहब्बत है जहां तक पहुंचे.'

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  25. इस्लाम में प्रगतिशील इन्सानों की आवश्यकता है.. जो समय की धारा के साथ बदलाव लायें...

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  26. मासूम अगर मुहब्बत की बात करने का इतना ही दम भरते हो तो जमाल की चमचागिरी बंद करो पहले।

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