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Monday, February 21, 2011

फुरसत में कभी हो अगर -तारकेश्वर गिरी.

फुरसत में कभी हो अगर
तो दो पल हमें भी देना.
अपना प्यार.

हम तो यूँ ही बस
खाली-खाली से सोचते हैं
कौन हैं मेरा यार.

10 comments:

  1. ऐसा भी क्या अकेलापन है जी?
    मेहरबाँ हो के बुला लो मुझे चाहे जिस वक्त
    मैं गया वक्त नहीं कि फिर आ भी न सकूँ

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  2. बहुत खूब लाइन लिखी हैं अपने , सोमेश जी.

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  3. हे मेरे प्रगाढ़ अर्द्धमित्र ! अति NICE .

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  4. इसे कहते है इंतजार की हद .......बहुत सुन्दर

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  5. बहुत खुब, आप ने प्यार से पुकारा ओर आप का मित्र झट से हाजिर भी हो गया:)

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  6. प्यार मांगा जा रहा है... आजकल.... अपने जमाल साहब ने आपको अर्द्ध मित्र की श्रेणी में रखा है... इनके पास अवश्य कोई तरीका होगा..

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  7. बिल्कुल फ़ुरसत में हैं जी .....!

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  8. जब कहें जनाब!! उम्दा!

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  9. आप सभी का प्यार सर आँखों पर.

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  10. बढ़िया प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई.

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