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Sunday, February 6, 2011

तुम्हे कैसे -कैसे प्यार करू -तारकेश्वर गिरी.

प्रति दिन सुबह सुबह
बिस्तर पर ही लेट कर
सोचता हूँ कि ये जिंदगी,
तुम्हे कैसे -कैसे प्यार करू।


पुरे दिन कि भाग दौड़
रात को देर से सोना,
सोते हुए भी सपनो में
तुम्हे ही देखना
सोचता हूँ कि ये जिंदगी,
तुम्हे कैसे -कैसे इस्तेमाल करू।

रिश्ते -नाते परिवार
समाज, झूठो का संसार
ईमानदारी नहीं रही
और मतलब के हैं यार
सोचता हूँ कि ये जिंदगी,
तुम्हे कैसे -कैसे प्यार करू।

10 comments:

  1. प्रश्न आपका मुश्किल नहीं है पर उत्तर बहुत मुश्किल से निकलता है

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  2. आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
    कल (7/2/2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
    देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
    अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
    http://charchamanch.uchcharan.com

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  3. इन सब मे रह कर भी हम इन से अलग रह सकते हे.धन्यवाद

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  4. जिंदगी,
    तुम्हे कैसे -कैसे प्यार करू. सार्थक चिंतन...

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  5. बहुत मुश्किल प्रश्न है ...

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  6. बहुत मुश्किल प्रश्न है .

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  7. zindagi tujhe kaise pyaar karoon/??????

    kya baat hai......

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