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Wednesday, August 11, 2010

एक घोटाला एजेंसी - C. B. I. - तारकेश्वर गिरी.

C.B.I अब तो एक घोटाला एजेंसी में बदल गई हैं। अब तक जितने भी घोटाले बाज पकडे गए हैं, सब ke सब मजे कि जिंदगी जी रहे हैं। जब भी कोई घोटाला सामने आता हैं तो विरोधी दल और मिडिया इतना शोर - शराबा करती हैं मानो जनता को न्याय मिलेगा ही । मगर कुछ दिन के बाद सब के सब शांत हो करके बैठ जाते हैं , उस समय तो येही लगता हैं कि "सबको अपना - अपना हिस्सा मिल गया"। और शायद ये सही भी हो।
आप खुद ही सोचिये कि आज तक कितने घोटाले बाजो को सजा हुई हैं। और येही वजह हैं कि रोज नए - नए घोटाले बाज सामने आ जाते हैं। और फिर सबको हिस्सा -पानी देकर मौज करते हैं।
का दूध पानी का पानी वाली कहावत तो अब किताबो तक ही रह गई हैं। रोज एक नया घोटाला सामने आता हैं, अब ओलम्पिक खेल का घोटाला ही लेलिजिये । खूब शोर - शराबा हो रहा हैं , फिर कुछ दिन बाद देखिएगा फिर वही चहरे नजर आयेंगे। क्या फर्क पड़ता हैं।
बेचारी गरीब जनता : रोटी हैं तो सब्जी नहीं और दाल हैं तो चावल नहीं। सरकारी अस्पताल में पैदा होते हैं और पूरी जिंदगी उसी के सहारे जीते हैं और फिर उसी तरह के किसी सरकारी अस्पताल में दम तोड़ देते हैं।
ओलम्पिक खेल में ठेकेदार दोषी नहीं हैं , दोषी हैं तो सरकार के वो लोग जो इस खेल कि तैयारियों से जुड़े हुए हैं।

9 comments:

  1. शाम का वक्त हैं, दिल्ली वालो - जरा बच के गाड़ी चलाना, पता नहीं कौन सी सड़क पे एक नया गड्ढा बन गया हो.

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  2. गिरी साहब आपसे १००% सहमत. CBI में भी हमारे ही समाज से निकले हुए लोग काम कर रहे हैं वो किसी दूसरी दुनिया से आए हुए लोग तो हैं नहीं जो उन्हें भ्रष्टाचार कि बीमारी ना हो. वो भी इसी भ्रष्ट समाज के अंग हैं और बाद में इसी में मिल जायेंगे. काश हमें कुछ ऐसे सत्चरित्र लोग मिल पाते जो दूध का दूध और पानी का पानी कर सकने का मजबूर चरित्र रखते.

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  3. भई दोषी हम है जो सब कुछ चुपचाप सह लेते है... अगर जनता इन कमीनो का जीना हराम कर दे तो देखे केसे नही सजा मिलती इन घटोले बाजो को... लेकिन जनता को तो अपनी अपनी पडी है

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  4. खेल की तैयारियां जिनको सौंपी गई हैं, उनको ताकत हमने ही दी है तो दोषी और कोई नहीं हम ही हैं और आप खुद को ही सजवाने पर तुले हुए हैं।

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  5. Yahi niyati hai is desh ki.
    Janta ko bhi apna hissa chhinna hoga.

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  6. भाई जी ! आपने कह दिया कि सीबीआई बुरी है लेकिन कभी सोचना कि जब नौकर पर सत्तर राजनीतिक दबाव हों तो वह क्या पकड़ेगा किसी को ? लेकिन शेखचिल्ली फिर भी इंसाफ की आस नहीं छोड़ता ।

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  7. अरे तीज पर फिरदौस जी कहां से प्रकट हो गईं ?

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  8. अच्छी और सार्थक प्रस्तुती ...इस देश की हालत बद से बदतर होती जा रही है और इसकी जिम्मेवारी से इस देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री भी नहीं बच सकते हैं ...

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