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Thursday, July 15, 2010

चाँद पे मस्जिद बनवायेंगे- सलीम खान जी - तारकेश्वर गिरी .

अब पूरी दुनिया में इस्लाम फ़ैलाने के बाद जब कंही और जगह नहीं मिली तो हमारे परम मित्र श्रीमान सलीम खान साहेब चाँद पर ही पहुँच गए, लग हाथो उन्होंने सोचा कि जब अमेरिका यंहा पर इन्सान बस्तियां बसने में लगा हुआ है तो एक मस्जिद ही क्यों ना बना दी जाय.


बात कल दोपहर कि है जब श्रीमान सलीम खान साहेब ने मुझे एक SMS भेजा , मैंने तो उसे पढ़ा फिर सलीम खान साहेब पर जोर से हंसा. आप भी पहले पढ़ लीजिये उन्ही कि शब्दों में :-

( , Sunita Wlliams Indian Lady jo satellite pe Chand par ga’ey thi(02/07/07) usnay “ISLAM” Qabool kar liya hai. She said: “ chand se saari ZAMEEN kaali nazar aa rahi thi magar 2 jagah roshan thein , telescope se dekha to roshni wali jagah ‘MAKKAH’ aur ‘MADINA thein! ‘ ALLAH-O-AKBAR’ aur chand pe sari frequency fail hojati hai magar sirf ek awaj aati hai jo AZAAN ki awaj hai’ SUBHAN ALLAH isse pahle chand par jane wale pahle yatri niel Armstrong neb hi dekha sunatha aur unke bhi ISLAM qubool karne ki baat samne aai thi ( I will check it today, will u ?) ALLAH BEHTAR JANANE WALA HAI.

हिंदी में : (कृपया आप गूगल पर चेक करे, सुनीता विलिअम्स जो कि भारतीय महिला है, जो कि Satellite से चाँद पर गईं ( ०२/०७/२००७) को , उन्होंने इस्लाम कबूल कर लिया है, वो कहती हैं कि चाँद से सारी ज़मीन काली नज़र आ रही थी मगर दो जगह रोशन थी , टेलेस्कोपे से देखा तो रोशनी वाली जगह' मक्का' और' मदीना' थी, अल्लाह ओ अकबर. और चाँद पे सारी frequency फेल हो जाती है, मगर सिर्फ एक आवाज आती है जो कि अजान कि आवाज है. 'सुभान अल्लाह '. इससे पहले चाँद पर जाने वाले पहले यात्री ने भी इस्लाम कबूल कर लिया है.)


लेकिन श्रीमान सलीम खान साहेब सुनीता जी तो अन्तरिक्ष में गई थी ना कि चाँद पे, और जंहा तक हमें जानकारी है चाँद से पृथ्वी नीले रंग कि दिखाई देती है, और मैंने ये भी सुना है कि चाँद से सिर्फ चीन कि दीवाल साफ नज़र आती है.


पृथ्वी पर इन्सान हैं और इंसानों ने ही अलग - अलग धर्म बना लिए है, अलग - अलग भाषा का इस्तेमाल कर के पूजा पाठ भी करते हैं, तो चाँद तो इन्सान से अछुता है चाँद को क्या पता कि कौन हिन्दू है और कौन मुस्लमान और कौन इसाई या बुद्ध.


सुनीता जी तो पहले से ही इसाई धर्म को मानने वाली है, और सुनीता जी भारत कि नहीं बल्कि भारतीय मूल कि अमेरिकी महिला हैं।



22 comments:

  1. Saleem saheb bilkul bura mat maniyega. aap se bad main phone par mafi mang lunga

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  2. बिल्ली को ख्वाब में छींछडे ही नज़र आते हैं.
    हा हा हा हा हा हा
    ही ही ही ही ही ही
    हो हो हो हो हो हो

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  3. आपको कुरान के ज्ञाता के बारे में ऐसी बातें नही करनी चाहिए. प्रकाण्ड विद्वान सलीम महाशय कहते हैं तो सुनीता चाँद पर ही गयी होंगी. विशवास न हो तो उनके गुरु अस्लम कासमी से पूछ लो जी.

    हा हा हा हा हा हा
    ही ही ही ही ही ही
    हो हो हो हो हो हो

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  4. Dekhte hain kaun kaun se guru ji log aa karke saleem khan ji ko samjhate hain.

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  5. अजी साहब चाँद को तो जरा साफ-सुथरा रहने दो | क्यों वहां गन्दगी और दहशत फैलाना चाहते हो |

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  6. dashat to sirf prithivi par hi rahegi

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  7. abe ye kya post hai be sms ka post bana dala be tune tarkeshwar

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  8. हा हा हा हा...इस बात पर तो सिर्फ हँसा ही जा सकता है. देख लेना, आने वाले वक्त में संता-बंता की तरह से ही इनके नाम से भी लतीफे गढे जाएंगें :)

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  9. हा हा हा हा...इस बात पर तो सिर्फ हँसा ही जा सकता है. देख लेना, आने वाले वक्त में संता-बंता की तरह से ही इनके नाम से भी लतीफे गढे जाएंगें :)
    mar hi diya aapne to paapad wale ko

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  10. हा हा हा हा हा हा

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  11. कम शिक्षित और शायद कुछ अधिक शिक्षित मुसलमान यही मानते हैं कि एक दिन पूरी दुनियाँ इस्लाममय हो जायेगी. सलीमखान भी शायद उन्हीं में से हैं.

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  12. Maaf kijiyga kai dino bahar hone ke kaaran blog par nahi aa skaa

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  13. हा हा हा हा...इस बात पर तो सिर्फ हँसा ही जा सकता है

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  14. मजा आगया ! तारकेश्वर जी आप और भी ऐसे ही चुटकुले सुनाया कीजिये ! इससे क्या होगा कि इन खुदा टाइप लोगों को अपने समझदार होने का भ्रम रहेगा और हमेंहँसने का मौका मिलेगा !

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  15. विद्वान (?) असलम कासमी ने विद्वान (?) सलीम खान की पीठ अवश्य थपथपाई होगी, इतना महान कार्य करने पर जो केवल इस्लाम का प्रकांड ज्ञाता ही कर सकता है

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  16. तारकेश्वर जी आप भूल गये लगता है - सावन के अन्धे को हरा ही हरा सूझता है।

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  17. कमाल है.... हँसते हँसते पेट में दर्द हो गया है.... एक थेओरी है फिजिक्स में रेवेर्बरैशन (Reverberation) की .... उसमें साफ़ कहा गया है कि आवाज़ हमारे एटमौस्फैयर में डिस्पर्ज़ हो जातीं हैं.... और उन आवाजों को खोजना मुश्किल है.... साइंटिस्ट्स इस पर काम कर रहे हैं... कि आवाजों को अलग किया जा सके... जो कि वायुमंडल में है... और चाँद पर तो वैक्यूम है... तो आवाज़ जाने का सवाल ही नहीं उठता... और चीन की दीवार भी एक लेयर के रूप में दिखती है... न कि दीवार के रूप में....

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  18. गिरी साहब,
    केवल भ्रम है कि चांद से चीन की दीवार दिखती है।
    मैं गूगल अर्थ का जमकर इस्तेमाल करता हूं। चीन को खूब जूम कर-कर के देख लिया लेकिन आज तक मुझे यह पता नहीं चला है कि दीवार चीन के किस हिस्से में है। फिर चांद से कैसे दिख जाती होगी?

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