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Sunday, May 30, 2010

दूध देने वाले जानवरों का मांस खाने से - पूरी जाति खतरे में। -तारकेश्वर गिरी-1

दूध देने वाले जानवरों का मांस खाने से - पूरी जाती खतरे में। उसकी वजह ये है की , दूध माफिया और किसान भैंसों का दूध निकालते समय जिस injection का इस्तेमाल करते हैं , वो एक मीठा जहर है। एक ऐसा मीठा जहर ,जो हर रोज हमारे शरीरके अन्दर दूध और मांस के रूप में प्रवेश कर रहा है।

पूरी गिद्ध प्रजाति ख़त्म हो गई। कारण वही, तो क्या इंसानी प्रजाति खतरे में नहीं है। जो लोग भैंस का मांस खाते है उन्हें इस बात पर ध्यान देना चाहिए की जो मांस वो लोग खा रहे हैं वो किस का है। कंही वो लोग अपनी प्रजाति का विनाश तो नहीं कर रहे हैं।

दूध का इस्तेमाल करने वालो में देखा जाता है की कुछ लोग तो पैकेट का दूध इस्तेमाल करते हैं , कुछ लोगो के घरो में दूधिया खुद आकर के दूध दे जाता है, तो कुछ लोग सुबह से डब्बा लेकर के ताजा दूध निकालने वालो के पास लाइन लगा करके खड़े हो जाते हैं, की दूधिया उनके सामने ताजा दूध निकाल करके देगा।

लेकिन शायद उन्हें ये नहीं पता है की जो खुला हुआ दूध, दूधिया उनके घर पर ला करके दे रहा है या जिसके लिए वो सुबह से लाइन मैं खड़े हैं , उसमे मीठा जहर मिला हुआ है।

पैकेट का दूध मिल्क प्लांट मैं तैयार किया जाता है , और इन खुले हुए दूध से कंही ज्यादा अच्छा होता है।

कंही ऐसा न हो की जापान वाले , आज से सौ साल के बाद ये बोले की हिंदुस्तान भी कभी आबाद था।

आने वाले समय में इन्सान अगर इसी तरह से दूध देने वाले जानवरों का मांस खाता रहा और जहर मिला दूध पीता रहा तो उसके आने वाले बच्चे नपुंसक पैदा होंगे।

15 comments:

  1. विचार करने योग्य प्रश्न ,वास्तव में यह एक गंभीर रूप धारण कर चूका है और पर्यावरण मंत्रालय सफ़ेद हाथी की तरह कुछ भी नहीं कर पा रहा है |

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  2. दुधारू पशु अर्थव्यवस्था का एक अहम हिस्सा हैं... हरियाणा में तो कहा जाता है- जिस घर में काली, उस घर सदा दिवाली...

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  3. बिल्कुल सही लिखा है, दुधारू पशु यदि नहीं बचे तो हम भी नहीं बचेंगे...

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  4. आपसे सहमत्! इन्सान खुद ही अपने हाथों अपनी आने वाली नस्ल को खत्म करने के इन्तजाम में लगा है...

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  5. आप के लेख से सहमत है, मासं को छोडो इन जानवरो का दुध भी हानि कारक है...लोग जानवरो को भरपेट खाना दे तो दुध भी खुब मिलेगा

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  6. भाई अब तो यह किसान भाई कद्दू और तरबूज में भी इस्‍तेमाल करने लगे इस बहाने किसानों की आमदनी होजाती है शयद उनके फायदों के देखते हुये उसकी मुखालफत नहीं की जा रही बहरहाल आपने इस ओर ध्‍यान दिलवाया अच्‍छा किया

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  7. दूध की बात छोड़िये भाई साहब ! अब तो पानी में भी आर्सेनिक वग़ैरह मिला हुआ आ रहा है। आसमान से बारिश भी तेज़ाबी हो रही है। अब बचना आसान नहीं है लेकिन लोग फिर भी बीयर पीकर मस्ती में डांस कर रहे हैं। लेख सारगर्भित है।
    http://blogvani.com/blogs/blog/15882

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  8. बिल्कुल सही लिखा है, दुधारू पशु यदि नहीं बचे तो हम भी नहीं बचेंगे...

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  9. लाभदायक जानकारी

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  10. कहां रहे इतने दिनों तक हमने आपको बहुत याद किया

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  11. giri ji paiket kaa doodh bhi kahan asli rah gaya hai.

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  12. बहुत ही सार्थक और जागरूकता फ़ैलाने वाला लेख. यह लोग इसके लिए "आक्सीटासिन" जैसी दवाइयों के इंजेक्शन का प्रयोग करते हैं.

    हार्मोन के इंजेक्शन को घिनौनी प्रवत्ति के लोग कम उम्र की लड़कियों के ऊपर भी करते हैं, जिससे की उन्हें जल्द से जल्द जवान करके देह व्यापार के घिनौने धंधे में धकेला जा सके.

    इस विषय पर मेरी पोस्ट "ऐसा खानदानी पेशा जिसे सुन कर रूह भी कांप उठे!" अवश्य पढ़ें.

    http://premras.blogspot.com

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  13. अति उपयोगी पोस्ट ।

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  14. गिरी जी इस जानकारी के लिए धन्यवाद!
    ये जानकारी नहीं चेतावनी भी है सबके लिए .

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