हौले से धीरे से आकर
मेरे कंधो पे अपना हाथ रखे.
प्यारी से हंसी हो ,
धीमी सी मुश्कुराहट हो,
जब भी वो मेरे सामने हो.
सोच रही थी वो चौराहे पर
खड़ी हो करके
हाथो में गुलाब का फुल लिए.
तभी एक कार रुकी
खिड़की खुली
गुलाब का फुल खरीदने के लिए.
पैसा बटुए में रखने के बाद
फिर सोचती हैं,
मैं तो फुल बेचने वाली हूँ.
बहुत ही सुंदर . गहरी सोंच है.
ReplyDeletekya baat hai sir,bahut acchi kavita
ReplyDeleteBAHUT SUNDAR ACHHI BAT KAHI HAI AAP NE
ReplyDeleteBahut hi achchha chitran hai fool benchane vali ke manobhaon ka.....sunder prastuti.
ReplyDeleteजागती आंखों का खूबसुरत सपना...
ReplyDeleteसपने देखना शौक हैं. और देखता भी हूँ. सपने तो हर कोई देखता हैं , और देखना भी चाहिए।
..........दिल को छू लेने वाली प्रस्तुती
ReplyDeleteआप बहुत अच्छा लिखतें हैं...वाकई.... आशा हैं आपसे बहुत कुछ सीखने को मिलेगा....!!
वैलेंटाईन डे की हार्दिक शुभकामनायें !
ReplyDeleteकई दिनों से बाहर होने की वजह से ब्लॉग पर नहीं आ सका
बहुत देर से पहुँच पाया ....माफी चाहता हूँ..
भय्या तारकेश्वर गिरी जी ! आप शिव सैनिक से तो वैसे ही मशहूर हो ऐसे में तो भाभी जी की भी हिम्मत नहीं होती आपको लाल गुलाब देने की ।
ReplyDeleteलेकिन कविता आपकी अच्छी है।
भाभी जी को तब सुनाना जब लाइट भागी हुई हो ।
आपके 5 रुपये खर्च हो ही जाएँगे क्योंकि ख़ाँ साहब की तरह आप सोचते नहीं ।
शुभकामनाएं ।
गिरी साहब, आपको कैसे मालूम कि फूल बेचने वाली को कोई प्यार नहीं करता ? :):)
ReplyDeleteआदरणीय गोदियाल साहेब , प्रणाम
ReplyDeleteबहुत दिनों बाद आये हैं आप. और भी सिर्फ फूल बेचने वाली के लिए.
सुन्दर कविता। एक गरीब की आंखो के सपनों का सुन्दर चित्रण।
ReplyDeletemajedar post hai par kauwe ko udaao
ReplyDeleteफ़ुल बेचने वाली को भी कोई तो प्यार करता ही होगा... फ़िर वो सोच रही थी कि जल्दी से सारे फ़ुल बिक जाये, तो घर जा कर खीर बनाऊगी :)
ReplyDeleteलगता है ये फूल आपको भी भा गये।
ReplyDeleteबहुत सुंदर।
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अंतरिक्ष में वैलेंटाइन डे।
अंधविश्वास:महिलाएं बदनाम क्यों हैं?
बहुत ही खूबसूरत भाव है गिरी भाई...
ReplyDeleteकवि हो गए हो भाई जान ....शुभकामनायें
ReplyDeleteफूल बेचने वाली हो या कोई और प्यार की चाहत किसे नहीं होती...
ReplyDeleteभूलवश कविता में फूल का फुल हो गया है और मुस्कुराहट का मुश्कुराहट....ठीक कर लीजिए..इतनी प्यारी रचना में कमी नहीं अच्छी लग रही..
आपका ब्लॉग भी फॉलो कर लिया है...
ohhhhhhhh....painful
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