एक पाकिस्तानी के बदले मैं १७ भारतीय। पाकिस्तानी की मौत हुई ये बात तो सत्य है , वजह थी शराब बेचने की होड़। क्या शारजाह पुलिश को इस बात की खबर नहीं थी, की उसके यंहा भारतीय और पाकिस्तानी दोनों मिलकर के शराब बेच रहे हैं।
पाकिस्तानी की हत्या में पचास लोग गिरफ्तार किये गए , मगर उसमे से सिर्फ सत्रह हिंदुवो को ही दोषी पाया गया, क्योंकि बाकि सब पाकिस्तानी मुस्लमान थे।
क्या कभी किसी ने ये सोचा है की उन सत्रह भारतीयों के परिवार वालो का क्या दोष है।
क्या शरियत कानून में मौत की सजा के अलावा और कोई सजा नहीं है ? क्या ये सजा उम्र कैद में नहीं बदली जा सकती ?
भारत में तीन सौ लोगो की हत्या में शामिल कसाब अब रोज नए पैतरे बदल रहा है। हमारे ही देश के गद्दार वकील उसकी जान बचने में लगे हुए हैं। रोज नए - नए साबुत पेश किये जाते हैं। संसद पर हमला करने वाले प्रमुख अभियुक्त को फांसी की सजा सुना दिए जाने के बाद भी सरकार उसे फांसी नहीं दे पा रही है।
इसका मतलब ये नहीं की हमारा कानून कमजोर है , हमारे देश में माफ़ कर देने की परंपरा है। सुबह का भूला अगर शाम को घर वापस आ जाये तो उसे भूला नहीं कहते।
पाकिस्तानी की हत्या में पचास लोग गिरफ्तार किये गए , मगर उसमे से सिर्फ सत्रह हिंदुवो को ही दोषी पाया गया, क्योंकि बाकि सब पाकिस्तानी मुस्लमान थे।
क्या कभी किसी ने ये सोचा है की उन सत्रह भारतीयों के परिवार वालो का क्या दोष है।
क्या शरियत कानून में मौत की सजा के अलावा और कोई सजा नहीं है ? क्या ये सजा उम्र कैद में नहीं बदली जा सकती ?
भारत में तीन सौ लोगो की हत्या में शामिल कसाब अब रोज नए पैतरे बदल रहा है। हमारे ही देश के गद्दार वकील उसकी जान बचने में लगे हुए हैं। रोज नए - नए साबुत पेश किये जाते हैं। संसद पर हमला करने वाले प्रमुख अभियुक्त को फांसी की सजा सुना दिए जाने के बाद भी सरकार उसे फांसी नहीं दे पा रही है।
इसका मतलब ये नहीं की हमारा कानून कमजोर है , हमारे देश में माफ़ कर देने की परंपरा है। सुबह का भूला अगर शाम को घर वापस आ जाये तो उसे भूला नहीं कहते।
क्या शरियत कानून में मौत की सजा के अलावा और कोई सजा नहीं है ? क्या ये सजा उम्र कैद में नहीं बदली जा सकती ?
ReplyDeleteइस्लाम की संवेदनशीलता कहाँ चली जाती है ऐसे में और ये कठमुल्ले जो इंसानियत की दुहाई देते हैं वो कहाँ छुप जाते हैं समझ में नहीं आता... मानवाधिकार आयोग क्यों मौन है .... ये सच है कि आज मुस्लिम देश बिना अंकुश के हाथी हो रहे हैं ... इनपर जल्द ही नियंत्रण न पाया गया तो ये इंसानियत के दुश्मन ही साबित होंगे ... मौत की सजा भी समझ में आती है किन्तु एक मौत के बदले सत्रह मौत??? ... ये निश्चय ही अनीति पूर्ण है और विद्वेष से भरा हुआ फैसला है ... इसकी दुनिया भर में जितनी भर्त्सना की जाय कम है ... इस युग में रह कर अपने हित के लिए आज की सारी सुविधाओं का उपभोग करने वाले मुस्लिम राष्ट्र अभी भी मज़हब का झूठा सहारा लेकर अपना हित साधने में ही लगे हुए हैं ... इंसानियत और भाईचारा सब ढोंग है
ReplyDeleteशर्म!शर्म!
sahi uthya masla.
ReplyDeleteplz visit
http://rajkaj.blogspot.com/
अभी तक आप के मित्र गण नही आये....:)
ReplyDeleteइस खबर ने मेरा भी ध्यान आकर्षित किया था पर आजकल तो सिर्फ सानिया जी ही चारों तरफ छाई हुई हैं। अपने इस मुद्दे को ब्लॉग्गिंग की दुनिया में सबके सामने लाकर बहुत अच्छा कार्य किया है।
ReplyDeleteसही मुद्दे लेकर आपने बहुत बढ़िया लिखा है जो काबिले तारीफ़ है! मेरे ख्याल से १७ लोगों को मौत की सज़ा सुनाना नाइंसाफी है!
ReplyDeleteमेरे ब्लोगों पर आपका स्वागत है!
aak lekhan
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