हिन्दू और मुस्लमान दोनों इस ग्रह के प्राणी नहीं हैं। ये दोनों तो किसी और ग्रह से इम्पोर्ट किये गए हैं। हिन्दू किसी और ग्रह से टपके हुए हैं तो मुस्लमान किसी और ग्रह से आकर के । दोनों मैं जरा सा भी समानता नहीं है। हिंदुवो के दो हाथ हैं तो मुसलमानों के चार । मुस्लमान दो पैरो वालें प्राणी है तो हिंदुवो के पास तीन पैर है। हिन्दू और मुसलमानों के बीच ढेर सारी भिन्नतायें हैं। एक पानी पिता है तो दूसरा जल पिता है, एक भोजन करता है तो दूसरा खाना खाता है। एक का खून लाल है तो दुसरे का खून महरूम है।
कोई किसी को समझने की कोशिश नहीं करता , बस एक दुसरे की और ऊँगली उठाने पर लगे हुए हैं। और मैं तो ये समझता हूँ की चाहे कितनी भी कोशिश कर ली जाय दो नो को समझाने के लिए कोई फायदा नहीं है। दोनों एक दुसरे की संस्कृति और सभ्यता को नष्ट करने मैं लगे हुए हैं।
इसका एक ही आसन सा रास्ता है दोनों को वापस इनके -इनके ग्रहों पर भेज दिया जाय।
कोई किसी को समझने की कोशिश नहीं करता , बस एक दुसरे की और ऊँगली उठाने पर लगे हुए हैं। और मैं तो ये समझता हूँ की चाहे कितनी भी कोशिश कर ली जाय दो नो को समझाने के लिए कोई फायदा नहीं है। दोनों एक दुसरे की संस्कृति और सभ्यता को नष्ट करने मैं लगे हुए हैं।
इसका एक ही आसन सा रास्ता है दोनों को वापस इनके -इनके ग्रहों पर भेज दिया जाय।
आप का सुझाव अच्छा है।
ReplyDeletedam hai bhai
ReplyDeleteतारकेश्वर जी, सच कहूँ तो ब्लागजगत में ये सब पढ पढ कर अब तो दिमाग भन्नाने लगा है। हैरानी होती है कि जो लोग अपने आप को पढा लिखा कहते हैं, वो भी इस प्रकार धर्मों की लडाई में लगे हुए हैं। इन लोगो को इतनी सी बात समझ में नहीं आती कि धर्म न तो हिन्दू है, न इस्लाम, न जैन ओर न इसाई है---बल्कि धर्म तो एक आदर्श जीवन शैली है, सुख से जीने की पावन पद्धति है, शान्ति प्राप्त करने की विमल विद्या है, सर्वजन कल्याणी आचार संहिता है, जो सबके लिए है। बस सब आस्था और विश्वास की बात की बात है कि किसकी आस्था कहाँ जुडी हुई है....क्यूँ लोग किसी की आस्था से खिलवाड करके मनों में विद्वेष पैदा करने में लगे हुए हैं....मैं तो कहता हूँ कि लानत है इन लोगों के पढे लिखे होने पर...जो कि इनकी बुद्धि में इतनी भी समझ पैदा न कर सकी।
ReplyDeleteहर आदमी का अपना ही अलग धरम हो? सब झंझट ही ख़त्म हो जाये .
ReplyDelete