tag:blogger.com,1999:blog-8590804667452023378.post7613284095090960272..comments2024-03-26T14:48:50.155+05:30Comments on काम की बातें: तू बेवफा क्यों ? - तारकेश्वर गिरी.Taarkeshwar Girihttp://www.blogger.com/profile/06692811488153405861noreply@blogger.comBlogger22125tag:blogger.com,1999:blog-8590804667452023378.post-32149817254688848032010-11-13T10:06:35.251+05:302010-11-13T10:06:35.251+05:30@ गिरी जी ! मुझे याद नहीं है कि मैंने कभी अपनी सभ्...@ गिरी जी ! मुझे याद नहीं है कि मैंने कभी अपनी सभ्यता को गाली दी हो , किसी लेख का हवाला देते तो मुझे सफाई देने या प्रायश्चित करने में आसानी होती ।<br />इस्लामी सभ्यता आज पूरे विश्व के 153 करोड़ लोगोँ का नियम है वे अंग्रेज भी उसे अपना रहे हैं जिनके कपड़े लत्ते पहनकर आप खुशी महसूस करते हैं ।<br />आपके छत्रपति शिवाजी की ड्रेस भी मुग़लई ड्रेस थी । सबको पसंद वही चीज आती है जो अच्छी हो ।<br />आप पूर्वाग्रह से मुक्त होकर देखें आपको भी अच्छी लगेगी इस्लामी सभ्यता जैसे कि ईरान के आर्यों को अच्छी लगी । <br />इस्लाम का झंडा आज अरबों से ज्यादा आर्यों के हाथ में है , शुद्ध आर्यों के , आपसे बेहतर आर्यों के हाथ में । आप को भी उनका अनुसरण करना चाहिए ।DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8590804667452023378.post-71348589517674444212010-11-12T18:28:30.369+05:302010-11-12T18:28:30.369+05:30गिरी भाई, अब तो जवाब मिल ही गया होगा ?
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म...गिरी भाई, अब तो जवाब मिल ही गया होगा ?<br />---------<br /><a href="http://ts.samwaad.com/" rel="nofollow">मिलिए तंत्र मंत्र वाले गुरूजी से।</a><br /><a href="http://bm.samwaad.com/" rel="nofollow">भेदभाव करते हैं वे ही जिनकी पूजा कम है।</a>Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8590804667452023378.post-74459987092375805712010-11-11T09:50:14.869+05:302010-11-11T09:50:14.869+05:30Bahut hi achhi baat ki aapne..... aur utne hi beha...Bahut hi achhi baat ki aapne..... aur utne hi behater dhang se use prastut bhi kiya..... aalekh ki aakhiri panktiyan man ko chhoo gayin.... sochane par vivash karti huin..... dhanywad डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8590804667452023378.post-69973072558693514362010-11-09T23:14:18.646+05:302010-11-09T23:14:18.646+05:30तारकेश्वर जी,
मस्त चर्चा चल रही है।तारकेश्वर जी,<br />मस्त चर्चा चल रही है।नीरज मुसाफ़िरhttps://www.blogger.com/profile/10478684386833631758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8590804667452023378.post-43667306559108279882010-11-09T20:49:20.153+05:302010-11-09T20:49:20.153+05:30@ भाई सत्य क्यों कि सुन्दर होता है इसी लिए आदमी या...@ भाई सत्य क्यों कि सुन्दर होता है इसी लिए आदमी या औरत उसकी तरफ लपकता है . औरत और मर्द को भी सत्य पर होने के साथ साथ यानि आतंरिक सुन्दरता के साथ बाहरी सुन्दरता का भी ध्यान रखना चाहिए .<br />--- लेकिन जो अपने मालिक का गद्दार हो , रब सच्चे का गद्दार हो वह अपने जीवन साथी का भी गद्दार ज़रूर होगा .<br />टी वी कार्यक्रम इमोशनल अत्याचार इसका सुबूत है .<br />अपना 'ध्यान' रखना .DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8590804667452023378.post-73770746427471742802010-11-09T20:33:14.451+05:302010-11-09T20:33:14.451+05:30दिलफेंक को इंसान कहना-मानना ही नहीं चाहिए क्योंकि...दिलफेंक को इंसान कहना-मानना ही नहीं चाहिए क्योंकि जिसने दिल ही फेंक दिया, तो इंसान कैसे रहा ? बेदिल इंसान तो वैसे भी बेकार ही समझिए। खैर .. कुछ मिलाकर अच्छा और सार्थक विमर्श। <br /><a href="http://avinashvachaspati.blogspot.com/2010/11/blog-post_09.html" rel="nofollow">देशी घी में चुपड़ी दो रोटियां </a><br /> <a href="http://avinashvachaspati.blogspot.com/2010/11/2010.html" rel="nofollow"><br />महामारी तरकारी हुई है, फसल इसकी भारी हुई है : सोपानस्टेप नवम्बर 2010 अंक में <br /></a>अविनाशhttps://www.blogger.com/profile/12528740302165333781noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8590804667452023378.post-75217280900879708132010-11-09T20:08:44.801+05:302010-11-09T20:08:44.801+05:30वाह अलोक जी क्या उदहारण दिया हैं , काफी सही कह रहे...वाह अलोक जी क्या उदहारण दिया हैं , काफी सही कह रहे हैं,Taarkeshwar Girihttps://www.blogger.com/profile/06692811488153405861noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8590804667452023378.post-66174132525569694072010-11-09T20:00:31.321+05:302010-11-09T20:00:31.321+05:30मजफूज भाई आप की बाते फ़िल्मी है हकीकत नही
दिलफेक ह...मजफूज भाई आप की बाते फ़िल्मी है हकीकत नही<br /><br />दिलफेक होना काफी आसन है जबकि जिंदादिल होना काफी मुस्किल<br />जिन्दा दिल इंसान विपरीत सेक्स के साथ रहते हुए भी अपने साथी से वफादार रहता है<br />और अपनी जिमेदारी समझता है<br /><br />जबकि दिलफेक इंसान एक सुंदर ,अच्छी बीवी होने के बावजूद वो इधर उधर ताक झाँक करता है<br />सब इंसान पर आधारित है न की माहोल परAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8590804667452023378.post-80571067527874954742010-11-09T17:55:47.921+05:302010-11-09T17:55:47.921+05:30काफ़ी कुछ कह दिया फ़िरदौस जी ने उसके बाद कहने को क्य...काफ़ी कुछ कह दिया फ़िरदौस जी ने उसके बाद कहने को क्या बचता है।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8590804667452023378.post-37879200235377428902010-11-09T17:02:56.022+05:302010-11-09T17:02:56.022+05:30bahut achchhi tathyatmak rachna...bahut achchhi tathyatmak rachna...kavita vermahttps://www.blogger.com/profile/18281947916771992527noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8590804667452023378.post-56315404233807351522010-11-09T14:30:17.388+05:302010-11-09T14:30:17.388+05:30Mahfuj Bhai: Aap aaye to bahar aai,
Aur kuch na b...Mahfuj Bhai: Aap aaye to bahar aai,<br /><br />Aur kuch na bhi kahte huye bahut kuch kah diya hai apne.Taarkeshwar Girihttps://www.blogger.com/profile/06692811488153405861noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8590804667452023378.post-67206362877580200402010-11-09T14:29:25.591+05:302010-11-09T14:29:25.591+05:30तारकेश्वर जी, बहुत मासूम सवाल पूछा है आपने।तारकेश्वर जी, बहुत मासूम सवाल पूछा है आपने।Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8590804667452023378.post-7475068564689237452010-11-09T14:05:46.285+05:302010-11-09T14:05:46.285+05:30कई बार ऐसा भी होता है की हमारे यहाँ शादी एक कौम्प्...कई बार ऐसा भी होता है की हमारे यहाँ शादी एक कौम्प्रोमाइज़ होती है... शादी तो कर लेते हैं लेकिन आपस में वो प्यार नहीं होता... अब चूंकि शादी हो चुकी है तो साथ में रहना भी पड़ेगा... लेकिन वो प्यार नहीं होगा... तो जब ऐसे में कोई हमारे अनुरूप मिलता है तो ऐट्रेकशन स्वाभाविक है... वैसे शादी के बाद प्यार करना गलत नहीं है... जो गलत कहते हैं ...वो सिर्फ खुद सांत्वना देते हैं... वैसे चाहत अगर है किसी की तो ऐसी चाहतों को रोकना नहीं चाहिए... बस यह है की सब कुछ एक दायरे में या फिर परदे में रहे... अगर हम किसी भी इच्छा को दबायेंगे.. तो वो और जोर मारेगी... जो शराब नहीं पीते ... वो वो लोग होते हैं जिन्होंने कभी शराब को छुआ ही नहीं है .... जो मांस नहीं खाते वो वो लोग होते हैं जिन्होंने कभी मांस छुआ तक नहीं है... लेकिन सेक्स एक ऐसी चीज़ है... जिसे हमें कोई सिखाता नहीं है... वो नेचर जिसे हम प्रकृति भी कह सकते हैं... हमें ख़ुद सिखाती है... तो सेक्सुअल ऐट्रेकशन होना स्वाभाविक है... और यह एक ऐसी चीज़ है जिस पर दुनिया का कोई भी लिविंग बींग कंट्रोल नहीं कर सकता.... और बेवफाई कभी भी सेक्सुअल नहीं होती... यह पर्सनल रिलेशन पर बेस्ड होती है... आज ज़रूरत ब्रौड सोचने की है... और यह बात तो एकदम सच है की जो हमारे सामने रहेगा उससे हमें प्यार भी हो जायेगा... <br /><br />और दिलफेंक होना तो बहुत ही बुरी बात है.... फ्लर्ट करना नहीं.... फ्लर्ट हमें ज़िंदादिल रखता है...डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali)https://www.blogger.com/profile/13152343302016007973noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8590804667452023378.post-46573383032821415012010-11-09T13:19:21.369+05:302010-11-09T13:19:21.369+05:30ज़िंदादिल होना अलग बात है और दिल फेंक होना दूसरी बा...ज़िंदादिल होना अलग बात है और दिल फेंक होना दूसरी बात...<br />bikul satya hai <br />i agree with firdaus jiसंजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8590804667452023378.post-64360896690911593452010-11-09T12:50:03.469+05:302010-11-09T12:50:03.469+05:30दिलफेंक व्यक्ति (महिला या पुरुष) ऐतबार के क़ाबिल न...दिलफेंक व्यक्ति (महिला या पुरुष) ऐतबार के क़ाबिल नहीं होता. बात तो दुरुस्त है लेकिन इसका हल क्या है? आज मुहब्बत ज़रुरत को कहते हैं. इंसान को उस चीज़ या इंसान से भी अधिक लगाव हो जाया करता हैं, जिसके साथ अधिक समय व्यतीत करता है. पत्नी से बात करता है एक इंसान , २ घंटे, सहकर्मी सी ६ घंटे, तो यह स्वाभाविक है की ऑफिस के सहकर्मी सी लगाव बढ़ जाए. ऑफिस मैं सजे संवरे हर तरह का हुस्न मिलजाता है, घर मैं तो जो मिला वही ठीक. <br />यकीनन सच्ची मुहब्बत अगर पति पत्नी मैं है, एक जैसी सोंच है तो कोई भी चीज़, दूरी भी उनको बेफफा नहीं बना सकती लेकिन ऐसा कम ही पाया जाता है.S.M.Masoomhttps://www.blogger.com/profile/00229817373609457341noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8590804667452023378.post-51959454720769280482010-11-09T11:57:54.767+05:302010-11-09T11:57:54.767+05:30दिलफेंक व्यक्ति (महिला या पुरुष) ऐतबार के क़ाबिल न...दिलफेंक व्यक्ति (महिला या पुरुष) ऐतबार के क़ाबिल नहीं होता...<br /><br />Very NiceTaarkeshwar Girihttps://www.blogger.com/profile/06692811488153405861noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8590804667452023378.post-27755513942356631932010-11-09T11:49:47.106+05:302010-11-09T11:49:47.106+05:30फ़िरदौस जी से सहमत हैं जी!!!फ़िरदौस जी से सहमत हैं जी!!!मौसमhttps://www.blogger.com/profile/13303920834566218702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8590804667452023378.post-44447278492929513082010-11-09T11:49:41.891+05:302010-11-09T11:49:41.891+05:30फ़िरदौस जी से सहमत हैं जी!!!फ़िरदौस जी से सहमत हैं जी!!!मौसमhttps://www.blogger.com/profile/13303920834566218702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8590804667452023378.post-13711746123996291322010-11-09T11:49:32.363+05:302010-11-09T11:49:32.363+05:30फ़िरदौस जी से सहमत हैं जी!!!फ़िरदौस जी से सहमत हैं जी!!!मौसमhttps://www.blogger.com/profile/13303920834566218702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8590804667452023378.post-67371748467872078362010-11-09T11:49:24.829+05:302010-11-09T11:49:24.829+05:30फ़िरदौस जी से सहमत हैं जी!!!फ़िरदौस जी से सहमत हैं जी!!!मौसमhttps://www.blogger.com/profile/13303920834566218702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8590804667452023378.post-30238124488318129512010-11-09T11:49:03.433+05:302010-11-09T11:49:03.433+05:30फ़िरदौस जी से सहमत हैं जी!!!फ़िरदौस जी से सहमत हैं जी!!!मौसमhttps://www.blogger.com/profile/13303920834566218702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8590804667452023378.post-79566508536613233202010-11-09T11:34:07.250+05:302010-11-09T11:34:07.250+05:30पति या पत्नी की बेवफ़ाई के लिए कई बार व्यक्ति ख़ुद...पति या पत्नी की बेवफ़ाई के लिए कई बार व्यक्ति ख़ुद भी काफ़ी हद तक ज़िम्मेदार होता है...मसलन, अगर कोई व्यक्ति अपनी पत्नी/प्रेमिका से ज़्यादा किसी और महिला को महत्व देता है तो ऐसे में पत्नी/प्रेमिका के मन में असुरक्षा की भावना पैदा होना स्वाभाविक है...अगर यह सिलसिला लंबे वक़्त तक चले तो पत्नी/प्रेमिका तनाव में रहने लगेगी... हो सकता है ऐसे में वो किसी ऐसे व्यक्ति को तलाशने लगे जिससे वो अपने मन की बात कह सके... और बाद में यही व्यक्ति उसके लिए भावनात्मक सहारा बन जाए... बाद में इसी पत्नी/प्रेमिका को बेवफ़ा क़रार दे दिया जाता है... ठीक यही हालत मर्दों के साथ भी है...<br /><br />कोई भी व्यक्ति यह कभी पसंद नहीं करेगा की उसका साथी उससे ज़्यादा किसी और को महत्व दे, ख़ासकर उस वक़्त, जो सिर्फ़ उनका अपना हो... एक-दूसरे पर विश्वास करना बहुत ज़रूरी है, लेकिन इसके साथ यह भी ज़रूरी है कि किसी भी ऐसे काम से बचा जाए, जिससे आपके प्रति आपके साथी का विश्वास डगमगाने लगे... आजकल महिला और पुरुष साथ काम करते हैं...ऐसे में उनके बीच बातचीत भी होती है, और इसमें कोई बुराई भी नहीं है... बुराई तो तब होती है, जब यह बाहरी रिश्ते आपके वैवाहिक रिश्तों को प्रभावित करने लगते हैं...<br /><br />ज़िंदादिल होना अलग बात है और दिल फेंक होना दूसरी बात... और दिलफेंक व्यक्ति (महिला या पुरुष) ऐतबार के क़ाबिल नहीं होता...फ़िरदौस ख़ानhttps://www.blogger.com/profile/09716330130297518352noreply@blogger.com