Sunday, December 6, 2009

बाबर था सबसे बड़ा आतंकवादी

१५ वीं शदी मैं एक खूंखार आतंकवादी हिंदुस्तान मैं घुस आया था जो की बिदेशी था जैसे आज पाकिस्तानी और उसने जम कर के लोगो का कत्ले आम किया साथ ही साथ महत्वपूर्ण मंदिरों को तुड़वाकर के मश्जिद का रूप दिया, शायद लोग ये भी भूल गए की अकबर को छोड़कर जितने भी मुष्लिम राजावो ने भारत पर राज्य किया, उन्होंने सिर्फ़ और सिर्फ़ हुन्दुओं का दमन ही किया है, चाहे वो मन्दिर तोड़कर के या चाहे जजिया कर लगा कर के। तब कंहा थी लोगो सोच, क्यों नही आपने अपने समाज के खिलाफ आवाज उठाई की बदलो अपने आप को ये हिंदुस्तान है, पाकिस्तान नहीगलती हमारे बुजुर्गो की है जिसकी सजा हमें भुगतनी पड़ रही है

8 comments:

मयंक said...

मूर्ख....बाबर को किसने बुलायाथा इतिहास भी पढ़ों....अनपढ़ों जैसी बातें करते हो...जिनको पूजते हो...उन्हीं राणा सांगा ने बुलाया था उस तथाकथित तंकवादी को....

iqbal said...

यह सब हनुमानजी की घोर लापरवाही के कारण हो रहा है, उनको रामजी ने हमेशा जिन्‍दा रहने का वरदान दिया था अर्थात आप चिरंजवी थे, फिर भी आपने बाबर के सेनापति मीर बाक़ी को जब वह मन्दिर तोड रहा था, न रोका न गदा का शिकार बनाया, उन्‍होंने ऐसा क्‍यूँ क्‍या? जब हनुमानजी चिरंजीव हैं और पहाड भी उठाने में समर्थ हैं तो अब VHP की तैयार कराई शीलाऐं किसी रात में रखकर राम मन्दिर बना दें, मन्दिर बन जायेगा तो सारा झगडा ही खत्‍म होजाएगा, आओ हम सब हनुमान जी जो जीवित हैं से प्रार्थना करें कि वह अब लापरवाही न बरतें

राजेश कुमार said...

किस हिन्दू की बात करते हो। यहां जात के लोग रहते हैं किसी धर्म के नहीं। बच्चा जन्म लेते हीं किसी जात का हो जाता है। जहां तक बाबर का सवाल है और मंदिर में लूट पाट का। तो बाबर को किसी हिन्दस्तानी ने बुलवाया था उनका नाम राणा सांगा था। आज धन के लिये बैंक लूटे जाते हैं तो उन दिनों धन के लिये मंदिर लूटे जाते थे। क्योंकि सारे धन मंदिरों में हीं रखे जाते थे। बाबर विदेशी जरूर था लेकिन भारत को हीं अपना घर मान लिया था। उसका पूरा परिवार भारतीय था।

Yogesh Verma Swapn said...

tarkeshwar ji aap mere blog par padhare ,dhanyawaad, comments kiya dhanyawaad, punah padharen.

aapne 06.12.2009 date ko sudharne ki baat likhi hai main samajhta hun date to theek hi hai , aur koi kami ho to batayen , dhanyawaad sahit aapka.................

Unknown said...

सबसे बड़ा मूर्ख तो मयंक सक्सेना है जो अनपढ होकर अपने आपको पढा समझता है. दूसरों को मूर्ख कहने से पहले यह मूर्ख कम से कम विकीपीडिया ही पढ ले तो जान पाये कि बाबर को बुलाने वाला राणा सांगा नहीं संगर खान था...

इकबाल पहले ये बताये कि अल्लामियां कहा छुप कर बैठ गया था जो मस्जिद को नहीं बचा सका. यदि मीर बाकी मंदिर तोड़ सकता है तो आज उस ढांचे को क्यों नहीं हटा कर फैंक सकते?

राजेश कौन से बाबर की बात कर रहा है जिसने हिन्दुस्तान को अपना घर मान लिया था? क्या इसे ये मालूम है कि बाबर को मरने के बाद कहां दफनाया गया था? बाबर को मरने के बाद अस्थायी आगरा में एतमाद्दोला के पास चौबुर्जी में दफनाया गया था जहां से इस आतंकवादी की उसकी इच्छानुसार लाश को निकाल कर काबुल भिजवा दिया गया था. मयंक सक्सेना ने एक गलत बात बोल डाली तो ये महाराज में बाद में अपनी तालियां पीटने आगये, थू...

जब इन जैसे अधकचरे लोग खुद को पत्रकार कहने लग जायेंगे तो पत्रकारिता का स्तर तो गिरेगा ही...

DIVINEPREACHINGS said...

प्रिय तारकेश्वर,

आयुष्मान भव । आपने अपनी बात कह दी इतना काफी है । हम हिन्दुओं में भीरुता कूट-कूट कर भरी है इसका प्रमाण कुछ भ्रमित बन्धुओं की टिप्पणियों से मिलता है । अगर हमारे घर में एक पुत्र मयंक है तो दूसरा प्रसून भी है । छ्द्म धर्मनिरपेक्ष लोगों से प्रभावित बच्चे सत्य को देर से पहचानते हैं...वे क्षमा के पात्र हैं । अपना कार्य पूरी निष्ठा के साथ करते रहो । जय श्रीराम ।

Saleem Khan said...

मुन्ने चीख तो तू ऐसे रहा है कि कोई सत्य वचन की बिरयानी खा कर आया है लेकिन देख हाज़मा जवाब दे गया !! फेर तू परीशान मत होवो क्यूंकि ये तेरा कुसूर नहीं, इस देश में तेरे जैसे एक खोजो हज़ार मिल जायेंगे !!!

अगर बात जबानी (लेखनी) ही है तो मैं भी लिख देता हूँ कि सावरकर सबसे बड़ा आतंकवादी है !!! लिखने में क्या जाता है!!!!

सलीम खान

मयंक said...

सलीम खान के तरीके से कतई असहमत हूं....जिस तरह सलीम भाई ने एक ही टिप्पणी कॉपी की...वो मानसिक असंतुलन ज़्यादा लगता है...पर अगर विकीपीडिया ज्ञान का भंडार लगता है....तो इतिहास की कोई साधारण पाठ्य पुस्तक से लेकर....बड़े लेखकों की किताबें उठा लें....राणा सांगा ने ही बाबर को बुलाया था...विकीपीडिया पर सारी बाते सहीं है ऐसा नहीं है...और ये कोई भी इंटरनेट का जानकार जानता है....खैर....रही बात अल्लामियां जैसी टिप्पणियों की तो जनाब बचा तो अगर जैसा कि आप कहते हैं वहां मंदिर था....तो क्यों हमारे श्रीराम उसे बाबर के हाथों नहीं बचा पाए...प्रश्न जायज़ नहीं है....और मुझे जो गद्दार कह रहे हैं....एक मिसाल दे दें कि आज तक देश के लिए न्होंने क्या किया है...और धर्म के नाम पर देश को बांटने से बड़ी भी कोई गद्दारी है क्या....अश्फाक उल्ला खां भी गद्दार थे क्या...देश किसी हिंदू या किसी मुस्लिम का नहीं है...सबका बराबर है.....और अगर आप को अपने धर्म का इतना ही मान है तो एक सूक्त पढ़ लें....
अयं निजः परोवेति, गणना लघुचेतसाम्
उदारचरितानांतु वसुधैव कुटुम्बकम्
और हांमाननीय प्रसून जी....पत्रकारिता का स्तर कम से कम आप न ही बताएं तो अच्छा है...पत्रकार निष्पक्ष होता है...सच कितना भी कड़वा क्.यों न हो साथ खड़ा होता है...किसी जाति या धर्म की बात करने वाले के मुंह से पत्रकारिता की बात अच्छी नहीं लगती....आपके लिए मैं अकेला काफी हूं....शास्त्रार्थ कर लें...या बकवास कर लें...और हां अगर आपको लगता है कि देश भक्त केवल हिंदू हैं....तो आपको बताना चाहूंगा कि हमारी गौरवपूर्ण परम्परा को हिंदू नाम भी अरबों ने ही दिया था.....और हिंदू होने पर मुझे आपसे ज़्यादा गर्व है....याद कर के बताइएगा देशभक्त महोदय...कभी किसी बूढ़े को सड़क भी पार कराई है क्या....
जय श्री राम
खुदा हाफ़िज़